क्या आप जानते है कि यीशु [JESUS] के सभी चेलों [Disciples] की मृत्यु कैसे हुई थी|| Walkinjesus.blogspot.com
यीशु मसीह के चेलों के नाम और उनकी मृत्यु कैसे हुई थी yeshu masih ke sabhi chelo ki mrityu kaise hui thi
यीशु के चेलों को लेकर हमारे मन में कई तरह के सवाल आते हैं पर जो सवाल सबसे ज्यादा आता है वो यही है कि यीशु के चेलों के नाम क्या थे और उनकी मृत्यु कैसे हुई थी | हम इसी विषय पर बात करेंगे तो चलिए जानते है की किस तरह बारह प्रेरितों को प्रभु यीशु ने चुना जिसका वर्णन बाइबल में आता है|
यीशु मसीह के 12 चेलों के नाम
मत्ती 10:2-4 में जहां इस प्रकार से लिखा है इन 12 प्रेरित हों के नाम यह है, पहला शमौन जो पतरस कहलाता है और उसका भाई अन्द्रियास| जब्दी का पुत्र याकूब और उसका भाई यहुन्ना| फ़िलिप्पुस और बर-तुलमै,थोमा जो दिदमुस भी कहलाता है और महसूल लेने वाला मत्ती| हलफई का पुत्र याकूब और तदै | शमौन कनानी और यहूदा इस्क्योरिति, जिसने यीशु को पकड़वा भी दिया | पतरस, योना का पुत्र शमौन जो पतरस कहलाता है| प्रभु ने उसे पतरस अर्थात चट्टान नाम दिया था,और कहा था मैं इस पत्थर पर अपनी कलीसिया बनाऊंगा और ये बात सच भी हुई |
यीशु मसीह के चेलों की मृत्यु कैसे हुई थी
1. पतरस ,इसवी सन 67 में सम्राट नीरो द्वारा पतरस को क्रूस पर उसी के कहने पर सिर नीचे और पैर ऊपर करके लटकाया गया उसने कहा था जिस तरह मेरा प्रभु क्रूस पर लटकाया गया मैं इस योग्य नहीं हूं इसलिए मुझे उल्टा लटकाया जाए | पतरस को रोम में वेटिकन में दाबोर नदी के पास क्रूस पर उल्टा लटकाया गया|
2. अन्द्रियास,अन्द्रियास प्रेरित पतरस का छोटा भाई था जब प्रभु यीशु ने यहुन्ना से बपतिस्मा लिया तब वो वही था | वहां घटी घटनाओं से प्रभावित होकर वो यीशु के पीछे हो लिया | इस तरह वह पहला प्रेरित बना उसके वह शमौन पतरस को भी उसके पास लाया और वह भी प्रेरित बन गया| अन्द्रियास को यूनान में ईस्वी सन 60 में क्रूस पर बांधकर मारा गया उस पर पथराव भी किया गया जहां 2 दिन बाद उसकी मृत्यु हुई|
3.जब्दी का पुत्र याकूब, याकूब जो यहुन्ना का बड़ा भाई था और जब्दी का पुत्र था और उसकी माता का नाम सलोमी था यह भी मछुआरा था,इसकी ही माता प्रभु यीशु क्रुसीकरण के बाद येशु की कब्र पर सुगंधित वस्तु लाने वाली महिलाओं में से थी | चेलों में शहीद होने वाला यह याकूब सबसे पहला यही था, और वह यरूशलेम में प्रचार करता था इसी दौरान रोमी सम्राट हेरोदेस अग्रिप्पा ने, ईस्वी सन् 44 में इसे यरूशलेम के मंदिर के कंगूरे पर खड़ा करके तलवार से सिर काटकर कई फीट नीचे फिकवा दिया था| यह वही कंगूरा था जिस पर प्रभु यीशु की परीक्षा शैतान ने ली थी |
4.यहुन्ना,यहुन्ना जब्दी का पुत्र और मछुआरा था, ये सब चलो में सबसे छोटा था और प्रभु यीशु का प्रिय भी था| प्रेरित याकूब इसका बड़ा भाई था | यहुन्ना पतरस के साथ रोम गया था वहां उसके प्रचार से क्रोधित होकर लोगों ने उसे मारने के लिए ख़ौलते हुए तेल की कढ़ाई में डाल दिया था| और वह आश्चर्यजनक तरीके से बच गया | इस स्थान पर आज चर्च बनाया गया है, एक मान्यता यह भी है कि रोम में ही यहुन्ना को जहर से भरा प्याला दिया गया था | जब उसने प्याला हाथ में लिया तो जहर गायब हो गया उस प्याले में एक सांप दिखाई दिया इसी यहुन्ना का प्रतीक चिन्ह भी प्याला और उसमें एक सांप दिखाया जाता गया है| पतमोस टापू पर यहुन्ना को काले पानी की सजा दी गई, उसके बाद उसे छोड़ दिया गया वहीं पर यहुन्ना ने प्रकाशितवाक्य भी लिखा पतमोस टापू से काले पानी की सजा के बाद उसे छोड़ देने के बाद लगभग 100 वर्ष की आयु में उसकी मृत्यु हुई| केवल इसी प्रेरित की स्वाभाविक मृत्यु हुई|
5.फिलिप्पुस, फिलिप्पुस गलील का निवासी था| अन्द्रियास प्रभु का पहला चेला था तो फिलिप्पुस को दूसरा चेला बनने का सौभाग्य मिला था| येशु के स्वर्गारोहण के बाद,फिलिप्पुस रूस गया| वहां पर 20 वर्ष तक प्रचार करने के बाद वह फ्रिगिया गया, वहां प्रचार का विरोध करने वालों ने ईस्वी सन् 80 में फिलिप्पुस को क्रूस से बांध दिया और उस पर पथराव भी किया गया जिससे उसकी मृत्यु हो गई|
6.बरतुलमै जिसका नाम नतनएल था और उसे नथनिएल भी कहा जाता था| बरतुलमै काना नगर का निवासी था| बरतुलमै का शुभ समाचार मिला जिसके अनुसार ये भी माना जाता है कि बरतुलमै ने भारत में भी प्रचार किया इसमें मत्ती रचित सुसमाचार का इब्रानी भाषा में भी अनुवाद किया जिसे वह भारत लाया एक मान्यता के अनुसार बारबुस राजा की आज्ञा से आर्मीनिया में ईस्वी सन् 71 में बरतुलमै को जीवित चमड़ी उतार कर उस पर चढ़ाया गया और वहीं मृत्यु हो गई थी|
7.थोमा,थोमा जिसे दिदुमुस भी कहा जाता है ने मध्यपूर्व में पहले प्रचार किया| फिर वह भारत आया यहां वह ईस्वी सन 50 में पंहुचा, और बहुत प्रचार करके 7 कलीसिया स्थापित किया | थोमा ने भारत में जमकर प्रचार किया| थोमा ने उत्तर भारत के पंजाब और सिंध में भी प्रचार किया | थोमा के प्रचार से तंग आकर कुछ लोगों ने ईस्वी सन 52 में उसे भाले से मारा | थोमा के शव को जहा गाड़ा गया आज वहा पर एक बड़ा चर्च है|
8. मत्ती, मत्ती ने अनेक देशों जाकर में खूब प्रचार किया, अलेक्ज़ेंड्रा के क्लेमेंट के अनुसार मत्ती ने 15 वर्ष तक प्रचार किया | एक लेखक का मानना है कि मत्ती को मारा नहीं गया, पर दूसरे लेखक मानते है कि मत्ती को इथोपिया में मारा गया | अन्य प्रमाणों के अनुसार ईस्वी सन 60 में प्रचार के दौरान मत्ती को इथोपिया में तलवार से मार डाला गया|
9. याकूब,याकूब प्रेरित मत्ती का भाई और हलफई का पुत्र, गलील के कफरनहूम का निवासी था उसकी माता का नाम मरियम था| बाइबिल में इसका वर्णन बहुत कम है उसके बारे में यह कहा जाता है याकूब से दुश्मनी रखने वाले अलिविनस ने इसके विरुद्ध षड्यंत्र रचा | अलिविनस ने याकूब को आमंत्रित किया कि पर यरूशलेम के कंगूरे पर प्रचार करें ताकि सब लोग सुन सके जब वह खड़ा हो गया तब उससे कहा गया क्रूस और यीशु मसीह के बारे में प्रचार करे | जब वह बोलने लगा तब लोगों ने उसे कंगूरे से नीचे फेंक दिया परंतु वह मरा नहीं, तब लोगों ने पथराव करके उसे मार डाला | याकूब पर एक मान्यता यह भी है कि हेरोदेस के शासन काल में ईस्वी सन 54 में शहीद हुए|
10. यहुदा तद्दे, जिसका नाम मत्ती में तद्दे आता है इसका नाम सुसमाचार में शमौन के साथ आता है माना जाता है कि ये दोनों अच्छे मित्र थे| यहुदा तद्दे,अर्मेनिआ के शहर में ईस्वी सन् 50 में प्रचार करते हुए शहीद हुए और अरारात शहर में इन्हे तीरो से मारा गया |अरारात शहर पहले सीरिया में था जिसके पहाड़ पर जल प्रलय के बाद नूह का जहाज रुका था |
11. शमौन कनानी, शमौन कनानी के बारे में ये कहते हैं कि शमौन पतरस से अलग पहचान के लिए इसे कनानी कहते थे, माना जाता है कि जब यह प्रेरित बना तब उसकी उम्र 40 रही होगी| यह ब्रिटेन भी गया सभी स्थानों पर आश्चर्यकर्म भी किए और अनेक कष्ट भी सहे यह मेसोपोटामिया भी गया | मिस्र का कोपतीक चर्च यह मानता है कि फरसिया में प्रचार के दौरान शहीद हुए उन्हें क्रूस पर टांग कर मारा गया|
12. यहूदा इस्करियोती, यहूदा इस्करियोती यह वही यहूदा इस्करियोती है और येशु का चेला भी, जिसने प्रभु येशु को 30 चांदी के सिक्को में बेच दिया था ,और यीशु मसीह को पकड़वाया भी था | प्रभु यीशु को पकड़वाने के बाद इसे जब पछतावा हुआ तब उसने जाकर 30 सिक्के महायाजक को दिए, पर जब महायाजक ने सिक्के लेने से इंकार कर दिया तो इसने यरूशलेम शहर के बहार जाकर एक पेड़ पर फांसी लगा ली और उसकी भी मृत्यु हो गई |
Brother wo bat ek raja ke liye bola gaya tha lekin wo raja wo bhaiswani ko Biswas nhi kiya ager wo raja Biswas krta to ye bat pura hota uska naam imanual rakha jata lekin wo raja Biswas nhi kiya esliye wo bhaisawani sahi nahi... Huwa ye wahi pe likh huwa he brother
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